Ladakh: खुबानी पैदा करने वाले किसान हो रहे हैं मालामाल, विदेश में भी है काफी डिमांड

लद्दाखी खुबानी: लद्दाख की मशहूर रक्तसे कारपो किस्म की खुबानी को हाल ही में जियो टैग मिला है. बाजार में बेहतरीन गुणवत्ता वाली खुबानी की कीमत 500 से दो हजार रूपय किलो है. करीब 40 दिन के सीजन में लद्दाख से हर साल 16 हजार टन खुबानी तैयार की जाती है. वैसे तो ये फल के पकने के पांच दिन बाद ही खराब होने शुरू हो जाता है.

Ladakh: खुबानी पैदा करने वाले किसान हो रहे हैं मालामाल, विदेश में भी है काफी डिमांड
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जम्मू: लद्दाख में खुबानी पैदा करने वाले किसान हो मालामाल हैं. अपनी अनोखी मिठास के लिए मशहूर लद्दाखी खुबानी की सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी डिमांड है. अपनी इसी बढ़ती हुई डिमांड के कारण इसकी कीमतों में भी उछाल देखा गया है.  लद्दाख की खुबानी का मूल्य 200 से लेकर दो हजार रुपये प्रति किलोग्राम तक जाता है.

अगर ये फल सड़ भी जाए तो भी इससे बहुत कुछ मिल सकता है. इसके फल के अंदर से निकलने वाली गिरी से बादाम की तरह तेल मिलता है. अपनी इसी ख़ासियत की वजह से लद्दाख की खुबानी भी कश्मीरी केसर की ही तरह काफी डिमांड में है. बाजार में बिकने वाली खुबानी की कम से कम 200 रुपये प्रति किलो है. 

मिल चुका है जियो टैग
 
लद्दाख की मशहूर रक्तसे कारपो किस्म की खुबानी को हाल ही में जियो टैग मिला है.  बाजार में बेहतरीन गुणवत्ता वाली खुबानी की कीमत 500 से दो हजार रूपय किलो है. करीब 40 दिन के सीजन में लद्दाख से हर साल 16 हजार टन खुबानी तैयार की जाती है.

बाकि फलों की ही तरह खुबानी के फल की मियाद भी ज्यादा नहीं होती. ये पकने के पांच दिन बाद से ही खराब होना शुरू हो जाते हैं. बाजारों में इसकी भारी डिमांड को देखते हुए सरकार, यहां खुबानी की प्रोसंसिंग को बढ़ावा दे रही है. इसके साथ ही कोल्ड स्टोरेज और फूड कूलिंग वाले सप्लाई वाहनों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है. 

लद्दाख हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट के डायरेक्टर सिवांग फुंत्सोग ने बताया कि, लद्दाख से देश के अलग-अलग बाजारों के लिए अगस्त महीने में अब तक 50 मीट्रिक टन से भी ज्यादा खुबानी पहुंचाई जा चुकी है. इसके अलावा देश के दूसरे बाजारों और विदेशी बाजारों में भी इसकी सप्लाई जारी है. 
 

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