Women Breaking Stereotypes: मजबूरी में चलाया रिक्शा, बनी कश्मीर की पहचान, मिलिए कश्मीर की पहली ई-रिक्शा ड्राइवर से...
Jammu and Kashmir: कहते हैं, इंसान अगर चाह ले तो लाख मुश्किले आएं लेकिन उसके बुलन्द इरादे और हौसलों के आगे वक्त भी पस्त हो जाता है. कश्मीर के चिनाब घाटी की एक बेटी ने ऐसी ही एक मिसाल पेश की है. जिसे सुनने के बाद आप अपने आपको, वाह क्या खुब है ये बेटी. ये कहने से रोक नहीं पायेंगे. आज हम आपको भद्रवाह के मीनाक्षी की आप बीती बताएंगे जिनकी ईमानदार मेहनत के आगे मुश्किलें भी छोटी होती नजर आयेंगी. देखिए हमारी इस खास रिपोर्ट में...
Latest Photos
Valley's First Female E-Rickshaw Driver: जम्मू कश्मीर की चिनाब घाटी में दिन भर मेहनत करने वाली मीनाक्षी, घाटी में इलेक्ट्रिक ऑटो चलाने वाली पहली महिला के तौर पर मशहूर हैं. घर रहकर परिवार संभालने से लेकर ई-रिक्शा चलाने तक का सफर मीनाक्षी के लिए. काफी संघर्षपूर्ण रहा है. उनकी कहानी बाकि महिलाओं की तरह है लेकिन उस कहानी को बदलने वाली मीनाक्षी सबसे अलग हैं. चलिए देखते हैं कि मीनाक्षा का घर से लेकर ई-रिक्शा चलाने का सफर कैसे शुरू हुआ.
पति के इलाज के लिए चलाया रिक्शा
गौरतलब है कि मीनाक्षी एक भरपुरे संपन्न परिवार की बेटी हैं. उनकी शादी के बाद वो पप्पी शर्मा के साथ अच्छा खास जीवन जी रही थी. पप्पी की मानें तो पहले कटरा और फिर मुंबई में उनका अच्छा खासा व्यापार चल रहा था. ऊपर वाले के आशीर्वाद से उन्हें किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी. लेकिन वक्त का पहिया ऐसा बदला जिसने मीनाक्षी और पप्पी की जिन्दगी को ही बदल दिया. पप्पी की तबीयत अचानक खराब हो गई. और उन्हें इस दौरान डॉक्टरों ने बताया कि उनकी किडनी बिल्कुल खराब हो गई है. अस्पताल और मेडिकल बिल में पहले घर गया और फिर धीरे धीरे सारी कमाई और व्यापार चौपट होता चला गया. ऐसी हताशा में पप्पी घर चलाने की चिंता में डिप्रेशन में चले गए. उनके पास सिर्फ एक गाड़ी बची थी. जिसे बेचकर मीनाक्षी के पति पप्पी ने खुद चलाने के लिए एक इलेक्ट्रिक ऑटो ले लिया. लेकिन समय तो कुछ और ही चाहता था. खराब सेहत के कारण ऑटो वो नहीं चला पाये और बाद में ये बीड़ा मीनाक्षी ने उठाया.
रिक्शा बना मीनाक्षी की ताकत
मीनाक्षी ने हिम्मत दिखाई और अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए इलेक्ट्रिक ऑटो चलाना शुरू कर दिया. शुरूआत में पड़ोसी से लेकर ऑटो स्टैण्ड पर लोगों ने मीनाक्षी को कई तरह के ताने मारे. और उनको कहीं से भी स्पोर्ट नहीं किया. लेकिन मीनाक्षी को सिर्फ अपना परिवार दिखाई दे रहा था. उसे अपने बच्चों को पालने की चिन्ता इतनी थी. कि वो उनकी कब ताकत बन गई. ये उन्हें भी नहीं पता चला. पहले लोग उनके ऑटो में बैठन से हिचकिचाये लेकिन जो भी उनके ऑटो में बैठा, वो उनका और उनके हौंसलों का फैन हो गया. साथ ही ऑटो चलाने वाले सभी पुरूष साथियों ने भी मीनाक्षी के इस जज्बें को सलाम किया.
लोगों को बदा नजरिया
अब मीनाक्षी के जज्बे की तारीफ हर इंसान करता है. ऐसे में ऑटो रिक्शा एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहसिन गनई कहते हैं कि मीनाक्षी ऑटो ड्राइवर के तौर पर कश्मीर की सभी महिलाओं के लिये एक आदर्श है. पॉजटीव सोच और वक्त से बदले हालात के सामने हार न मानने की वजह से आज मीनाक्षी अपने पति के रोज होने वाले डॉयलाइसिस के साथ ही बेटे को पॉलटैकनिक में पढ़ा रही है. और सबसे बड़ी बात मीनाक्षी अपने काम और खुद पर गर्व करती है कि वो एक ऑटो ड्राइवर हैं.