Jammu and Kashmir : उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) प्रोजेक्ट अब एक हकीकत बन गया है. इस ऐतिहासिक रेल परियोजना की शुरुआत साल 1994 में हुई थी, जिसे 2002 में नेशनल प्रोजेक्ट का दर्जा मिला. 31 साल में छह प्रधानमंत्रियों और 16 रेल मंत्रियों ने इस सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभाई.
इस प्रोजेक्ट पर काम पी.वी. नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी, एच.डी. देवेगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में जारी रहा. हर सरकार ने अपने समय में इस परियोजना को आगे बढ़ाने का प्रयास किया. हालांकि रास्ता आसान नहीं था. कई बार भूगोलिक बाधाएं और मौसम की कठिनाइयों ने काम को रोक दिया, लेकिन इंजीनियरों और मजदूरों के हौसले ने असंभव को संभव कर दिखाया.
इस रेल लाइन का सबसे कठिन हिस्सा कटड़ा से बनिहाल सेक्शन था, जो पहाड़ों, गहरी घाटियों और सुरंगों से होकर गुजरता है. इसमें भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग और दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल – चिनाब ब्रिज शामिल है. साथ ही, भारत का पहला रेलवे केबल स्टेड ब्रिज भी इसी परियोजना का हिस्सा है.
अब जब यह प्रोजेक्ट पूरा हो गया है, तो कटड़ा से श्रीनगर की दूरी महज तीन घंटे में तय की जा सकेगी, जो पहले सड़क मार्ग से 6–7 घंटे लगते थे. यह आज़ादी के 76 साल बाद पहली बार है जब कश्मीर रेल नेटवर्क से देश के बाकी हिस्सों से पूरी तरह जुड़ गया है.
यह रेल संपर्क न सिर्फ यात्रियों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगा. USBRL प्रोजेक्ट देश की इंजीनियरिंग क्षमता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बन गया है.