Jammu and Kashmir : केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया गया है. यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक हिस्सा माना जाता है, और इसे प्रतिबंधित करने के फैसले से पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इससे पाकिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंधों की जद में आ सकता है.
TRF की स्थापना वर्ष 2019 के बाद हुई थी, और तभी से यह जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं का पर्याय बन चुका है. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में होने वाली अधिकतर आतंकी घटनाओं की जिम्मेदारी इसी संगठन ने ली है. शुरू में इसे इंटरनेट पर एक प्रचार समूह के रूप में देखा गया था, लेकिन जल्द ही इसके खतरनाक मंसूबे सामने आ गए.
95 फीसदी लक्षित हत्याओं में TRF का हाथ
सरकारी एजेंसियों के अनुसार, अगस्त 2019 से लेकर अब तक कश्मीर में प्रवासी मजदूरों, अल्पसंख्यकों, सुरक्षाबलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जो भी Target Killings हुई हैं, उनमें से लगभग 95% मामलों में TRF का हाथ रहा है. यह संगठन जिहादी मानसिकता से प्रेरित है और पूरी तरह लश्कर-ए-तैयबा के इशारों पर काम करता है.
पाकिस्तान में बैठे हैं TRF के हैंडलर
TRF के कमांडर्स और हैंडलर अधिकतर पाकिस्तान में बैठे हैं. इनमें सज्जाद गुल नामक कश्मीरी आतंकी भी शामिल है जो पिछले 9 साल से पाकिस्तान में रहकर आतंकवाद फैला रहा है. वहीं इसका एक और हैंडलर सज्जाद जट्ट उर्फ खालिद, पाकिस्तान का रहने वाला है और कुलगाम क्षेत्र में लश्कर के लिए सक्रिय रहा है.
TRF पर बैन लगने के बाद अब पाकिस्तान की छवि और खराब हो सकती है. इससे पहले ही आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की वैश्विक साख पर सवाल उठते रहे हैं और अब इस प्रतिबंध से उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव और बढ़ेगा.