Zoji la Tunnel : श्रीनगर और लेह के बीच दूरी होगी कम, जोजिला सुरंग का निर्माण तेज़ी से जारी!
Zoji la Tunnel : जोजिला सुरंग परियोजना लद्दाख और कश्मीर के बीच सालभर संपर्क सुनिश्चित करेगी. 14.5 किमी लंबी यह एशिया की सबसे लंबी दो-मार्गीय सुरंग होगी. 2026 तक निर्माण पूरा होने की उम्मीद है. बर्फीले मौसम के बावजूद कार्य जारी है और अब तक 70% काम पूरा हो चुका है.
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Jammu and Kashmir : श्रीनगर और लेह के बीच सफर को आसान और हर मौसम में संभव बनाने वाली जोजिला सुरंग का निर्माण कार्य तेजी से जारी है. यह सुरंग लद्दाख और कश्मीर घाटी को जोड़ने वाली सड़क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भविष्य में दोनों क्षेत्रों के बीच आवाजाही को काफी आसान बना देगी.
सर्द मौसम में भी नहीं थमा निर्माण कार्य
जोजिला सुरंग का निर्माण कार्य कठिन और बर्फीले इलाकों में हो रहा है, जहां सर्दियों में तापमान माइनस 18 से माइनस 21 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है. बावजूद इसके, निर्माण कार्य बिना रुके जारी है. परियोजना से जुड़े अधिकारियों के अनुसार मौसम की स्थिति पर नजर रखने के लिए आधुनिक मौसम केंद्र स्थापित किए गए हैं और पूरी टीम सुरंग को समय पर पूरा करने में जुटी है.
2026 तक पूरा होगा निर्माण
इस एशिया की सबसे लंबी दो-तरफा सड़क सुरंग का 60 से 70 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है. अनुमान है कि यह सुरंग वर्ष 2026 तक पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगी. यह 14.2 किलोमीटर लंबी सुरंग बनने के बाद भारत की सबसे लंबी सड़क सुरंग बन जाएगी.
क्या होगा फायदा?
इस सुरंग के बनने से बालटाल से मीनामार्ग की दूरी 40 किलोमीटर से घटकर मात्र 13 किलोमीटर रह जाएगी और सफर का समय करीब डेढ़ घंटे कम हो जाएगा. नई सड़कें समतल और सुरक्षित होंगी, जिससे यात्रा भी आरामदायक होगी. यह सुरंग साल भर लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को जोड़कर स्थानीय लोगों, पर्यटकों और सेना के लिए काफी सुविधाजनक साबित होगी.
आधुनिक तकनीक से लैस
जोजिला सुरंग अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होगी, जिसमें सीसीटीवी कैमरे, रेडियो कंट्रोल, वेंटिलेशन सिस्टम और बैकअप बिजली आपूर्ति की सुविधा होगी. यह सुरंग न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड से बनाई जा रही है और इसकी अनुमानित लागत करीब 8308 करोड़ रुपये है.
सामरिक और आर्थिक दृष्टि से भी अहम
यह सुरंग सामरिक दृष्टि से भी भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे सीमावर्ती क्षेत्रों तक सेना की आवाजाही और रसद आपूर्ति आसान होगी. साथ ही, बालटाल स्थित अमरनाथ यात्रा आधार शिविर को पूरे साल संपर्क में रखा जा सकेगा. इससे स्थानीय पर्यटन और व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा.