अपने नायब टैलन्ट के वजह पैरा क्रिकेट टीम के कप्तान आमिर लोन बने कश्मीर के नौजवानों का आइडियल
जम्मू कश्मीर के नौजवानों में टैलेन्ट की कोई कमी नहीं है। यहां के लोकल टैलेन्ट को बस स्पोर्ट की ज़रूरत है। स्पोर्ट वक़्त पर मिल जाये तो जम्मू कश्मीर का हर नौजवान दुनिया में देश के नाम को सबसे आगे रख सकता है। आज हम आपको कुछ ऐसी ही तस्वीरें दिखा रहे है । तस्वीर में दिखाई देने वाला आमिर लोन, अपने पैरों की उंगलियों के जादू से हर तरह की बॉलिंग कर सकता है। तो वहीं ये शख्स अपने कंधे से गर्दन और ठूड्डी के बीच क्रिकेट बल्ले को फंसाकर बल्लेबाज़ी कर सकते है। उनकी बॉलिन बैटिंग के तरीके़ को देखकर आप अपने दांतों तले उंगलियां दबा ले, लेकिन सच्चाई यही है।
Latest Photos
![अपने नायब टैलन्ट के वजह पैरा क्रिकेट टीम के कप्तान आमिर लोन बने कश्मीर के नौजवानों का आइडियल](https://cdn.kesartv.com/sites/default/files/styles/half/public/2023/04/27/193-amir-hussain-armless-cricketer.jpg)
![Stop](https://english.cdn.zeenews.com/static/public/sound_off.png)
श्रीनगर- कहते है मंज़िल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। इस मिसाल को सही मायने में सच साबित करने का काम कर रहे है जम्मू कश्मीर के नायब टैलेन्ट आमिर लोन जो जम्मू कश्मीर की पैरा क्रिकेट टीम के कप्तान भी है। इस शख्सियत की ज़िन्दगी कश्मीर के नौजवानों को मुतास्सिर कर रही है। कैसे आज हम आपको बताऐंगे हमारी इस खास रिपोर्ट में ।
जम्मू कश्मीर के नौजवानों में टैलेन्ट की कोई कमी नहीं है। यहां के लोकल टैलेन्ट को बस सपोर्ट की जरूरत है। सपोर्ट वक़्त पर मिल जाये तो जम्मू कश्मीर का हर नौजवान दुनिया में देश के नाम को सबसे आगे रख सकता है। आज हम आपको कुछ ऐसी ही तस्वीरें दिखा रहे है । तस्वीर में दिखाई देने वाला आमिर लोन, अपने पैरों की उंगलियों के जादू से हर तरह की बॉलिंग कर सकता है। तो वहीं ये शख्स अपने कंधे से गर्दन और ठूड्डी के बीच क्रिकेट बल्ले को फंसाकर बल्लेबाजी कर सकते है। उनकी बॉलिन बैटिंग के तरीके़ को देखकर आप अपने दांतों तले उंगलियां दबा ले, लेकिन सच्चाई यही है। आइये हम आपको इस शख्स के बारे में बताते है। इस शख्स का नाम है आमिर हूसैन लोन जिसकी उम्र 30 साल है। ये कोई आम आदमी नहीं है। ये जम्मू कश्मीर की पैरा क्रिकेट टीम के कप्तान है। जिनके पास अल्लाह का दिया एक नायब टैलेन्ट है। इनके दोनों हाथ न होते हुए भी वो किसी पर भी आश्रित नहीं है वो अपने सभी का खुद करते है और किसी की भी मदद लेना पसन्द नहीं करते है। आमिर की हौसलों की तारीफ़ केवल खेलों को पसन्द करने वाले लोग ही नहीं करते बल्कि सचिन तेंदुलकर और आशीष नेहरा जैसे दिग्गजों ने भी इनके साहस की खुब तारीफ़ की है। 2016 में नेहरा ने उन्हें रात के खाने पर और वानखेड़े में 2016 टी-20 विश्व कप सेमीफ़ाइनल देखने के लिए बुलाया था। जबकि सचिन तेंदुलकर ने उनके लिए एक तोहफ़ा भेजा था। आमिर के वालिद बताते है कि वो बचपन से काफ़ी एक्टिव थे और उन्हें खेलने कूदने का शौक बहुत था। आमिर 2013 से पेशेवर रूप से क्रिकेट खेल रहे हैं जब एक टीचर ने उनकी क्रिकेट प्रतिभा का पता लगाया और उन्हें पैरा क्रिकेट से रूबरू करवाया। आमिर आठ साल के थे जब एक मिल में हादसे के दौरान उनके दोनों हाथ कट गये। ऐसे में भारतीय फ़ौज ने बड़ी जद्दोजहद के बाद उनकी जान बचाई। उस वाक्या को याद करते हुये आमिर के वालिद भावुक हो जाते है और कहते है कि उनकी जैकेट उस दिन नहीं फंसती तो आज उनके दोनों हाथ होते।
आमिर लोन के इस टैलेन्ट के वजह से आज हर कोई उनको जानता है। उनके गांव वाघमा में हर कोई उन पर गर्व करता है, लेकिन इतनी मेहनत और टैलेन्ट के बाद भी उनका मानना है कि उनके पास पैसा और जॉब नहीं है, वो अपनी मजबूरी के लिए सरकार से हर कदम मदद की गुज़ारिश करते है। लेकिन उन्हें सिर्फ़ मायूसी ही हाथ लगी है। लेकिन वो आज भी वो आस नहीं छोड़े हुए और अपने परफॉर्मेंस को लगातार इम्प्रूव कर रहे है। आमिर बताते है कि उनके टैलेन्ट को देख कर मशहूर क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि हाथों की लकीरों को मत गिन ग़ालिब नसीब उनके भी होते है जिनके हाथ नहीं होते है। आमिर ने कहा, "वो महान क्रिकेट सचिन तेंदुलकर के बहुत बड़े फैन है.. और वो उनकी तरह ही अपने देश के लिए खेलना चाहते है।
आमिर के भाई बताते है कि आज पूरा जम्मू कश्मीर उनको जानता है, और हर कोई ये कहता है कि मैं आमिर का भाई हूं। ये बात उन्हें काफ़ी अच्छी लगती है। आमिर में टैलेन्ट बहुत है लेकिन टैलेन्ट होते हुये भी उनकी ओर सरकार का कोई विशेष ध्यान नहीं है। जिसके वजह से कई बार मायूसी होती है,लेकिन आमिर के मुसलसल जद्दोजहद को देख कर हमें भी प्रेरणा मिलती है। आज आमिर लोन जम्मू कश्मीर के सभी नौजवानों के लिए एक मिसाल है। आमिर के भाई चाहते है कि उनके भाई को सरकार की तरफ़ से मदद करते हुये उन्हें किसी तरह का कोई रोज़गार दिया जाये, ताकि वो अपना गुज़र बसर ठीक से कर सके।
आमिर लोन ने अपनी शारीरिक कमज़ोरी को कभी भी किसी के सामने ज़ाहिर नहीं होने दिया और बुलन्द इरादों के साथ हमेशा वक़्त को चुनौती देते हुये पोजटीव एक्शन के साथ आगे बढ़ता चला गया। यही वजह है कि तमाम मुश्किलों के बावजूद आज भी आमिर किसी पर आश्रित नहीं है।