स्मॉग की चादर में लिपटा श्रीनगर, AQI स्तर बेहद खराब

मौसम एक्सपर्ट बताते हैं कि श्रीनगर फॉग से ज्यादा स्मॉग का कहर बढ़ रहा है जिसकी वजह से सांस की गंभीर समस्याएं हो सकती है. दरअसल स्मॉग फॉग में मिला हुई ज़हरीली हवा होती है जो सेहत के लिए बिलकुल भी ठीक नही है. ऐसे में एक्सपर्ट्स ने जम्मू के कई इलाकों में एहतियातन एडवाइज़री जारी कर दी.

स्मॉग की चादर में लिपटा श्रीनगर, AQI स्तर बेहद खराब
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श्रीनगर Air Pollution level increase : जम्मू कश्मीर में चिल्लई कलां यानि शदीद सर्दी का दौर शुरु हो गया है. श्रीनगर में कोहरे की घनी चादर छाई हुई है. वहां की विजिबिलिटी 5 मीटर से भी कम है और टेंपरेचर माइनस 1 के नीचे पहुंच गया है. लेकिन एक तरह जहां घने कोहरे ने यहां लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी को मुअस्सिर किया है तो वहीं दूसरी तरफ एक्सपर्ट ने इसके लिए प्रदेश में बढ़ते वायु प्रदूशष को लेकर अलर्ट जारी किया है. 

जीहां, मौसम एक्सपर्ट बताते हैं कि श्रीनगर फॉग से ज्यादा स्मॉग का कहर बढ़ रहा है जिसकी वजह से सांस की गंभीर समस्याएं हो सकती है. दरअसल स्मॉग फॉग में मिला हुई ज़हरीली हवा होती है जो सेहत के लिए बिलकुल भी ठीक नही है. ऐसे में एक्सपर्ट्स ने जम्मू के कई इलाकों में एहतियातन एडवाइज़री जारी कर दी.

मौसम एक्सपर्ट के मुताबिक ठंड के दस्तक देते ही घाटी में जगह-जगह लकड़ी और कोयले का इस्तेमाल शुरु हो जाता है जिसकी वजह से हवा में प्रदूषण की एक परत (धूल, मिट्टी, पानी आदि के बने कण) बन जाती है. और कोहरा, ज़हरीले स्मॉग में तब्दील हो जाता है. यही नहीं, इसका असर विजिबिलिटी पर भी पड़ता है. लोगों को लगता है कि ठंड की वजह से घना कोहरा है लेकिन वो असल में स्मॉग होता है.यानि घाटी इस वक्त कोहरे से ज्यादा स्मॉग की चपेट में हैं. 

ऐसे में इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD)ने जम्मू में एड्वाइज़री जारी कर लोगों को हिदायत दी है कि वो कम से कम घरों से बाहर निकलें. साथ ही कहा है कि इससे आगामी दिनों में होने वाली बारिश के बाद ही निजात मिल सकेगी लेकिन तब तक लोगों को सावधानी बरतनी होंगी क्योंकि स्मॉग के साथ धुंध भी पड़ रही है. 

आईएमडी ने इस एड्वाइज़री में कहा है कि 31 दिसंबर तक मध्य कश्मीर, दक्षिण कश्मीर में पुलवामा जिले और उत्तरी कश्मीर में बारामूला जिले में कोहरे की स्थिति बनी रहेगी.  यही नहीं, लोगों को गाड़ी चलाते समय फॉग लाइट ऑन रखने की सलाह देते हुए दूसरी सावधानी बरतने को भी कहा है. 

आपको बता दें कि जम्मू में, खासकर श्रीनगर में इस वक्त एयर क्वालिटी (AQI)का स्तर 114 है जिसे सेहत के नज़रिए से बेहद नुकसानदेह माना गया है. 

वहीं, अगर कश्मीर की बात करें तो जियो-साइंटिस्ट प्रोफेसर शकील अहमद के मुताबिक यहां कश्मीर में कोहरे की मोटी परत के लिए शून्य से नीचे तापमान के अलावा कोयला बनाने के लिए पत्तियों और लकड़ी को जलाना भी शामिल है. 

मेडिकल स्टडिज़ बताती है कि कश्मीर में वायु प्रदूषण की वजह से पिछले कुछ सालों में रेस्पिरेटरी डिजीज बढ़े हैं. आंकड़ों के मुताबिककश्मीर में 2019 तक 10 हज़ार से ज्यादा मौतें इसी वजह से हुई थी. 

यही नहीं, ऐसे में हर साल दूषित होती यहां की खराब एयर क्वालिटी के मद्देनज़र कई प्रोजेक्टस की शुरुआत की गई जिसमें वेस्टर्न हाइवेज़ और आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर पेड़ लगाना, सड़क किनारे पेवमेंट को पक्का करना और शहरों में फव्वारे लगाना शामिल है.

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