Vande Bharat : दुनिया के सबसे ऊंचे पुल पर दौड़ी वंदे भारत ट्रेन !
World's Highest Railway Bridge : जम्मू-कश्मीर में चलने वाली वंदे भारत ट्रेन को खास तौर पर अत्यधिक ठंडे मौसम के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसमें -20 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में काम करने के लिए एंटी-फ्रीजिंग फीचर्स लगे हैं.
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Jammu and Kashmir : भारतीय रेलवे ने शनिवार को श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा स्टेशन से श्रीनगर स्टेशन के बीच वंदे भारत ट्रेन का पहला ट्रायल रन सफलतापूर्वक पूरा किया. इस ट्रायल के दौरान, वंदे भारत ट्रेन ने दुनिया का सबसे ऊंचे रेल पुल (चिनाब ब्रिज) को पार किया.
इसके साथ ही, ट्रेन ने भारत के पहले केबल-स्टे ब्रिज, अंजी खड ब्रिज को भी पार किया. आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में चलने वाली वंदे भारत ट्रेन को खास तौर पर अत्यधिक ठंडे मौसम के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसमें -20 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में काम करने के लिए एंटी-फ्रीजिंग फीचर्स लगे हैं.
वंदे भारत एक्सप्रेस के संचालन में मदद के लिए एक बर्फ हटाने वाली ट्रेन जोकि दोनों यात्री और मालगाड़ियों से पहले चलेगी, जिससे साल भर बिना किसी रुकावट के कनेक्टिविटी बनी रहेगी. इस ट्रेन में हीटेड विंडशील्ड, हाईटेक हीटिंग सिस्टम और स्पेशल बायो-टॉयलेट्स जैसी एडवांस सुविधाएं मौजूद हैं. जो इसे जम्मू और कश्मीर की ठंडी जलवायु में संचालन के लिए आदर्श बनाती हैं.
First Vande Bharat Train crossing the world’s highest railway bridge on the Chenab River in J&K.
— Rishi Bagree (@rishibagree) January 25, 2025
It took 77 years to connect Jammu and Kashmir through Railways.
It took just 4 years for the Modi govt to do this post-370 abrogation. pic.twitter.com/9mDSBeYak4
इसके अलावा, ट्रेन में हीटेड वॉटर टैंक और पाइपलाइन भी हैं. जिनमें 900kW के हीटिंग एलिमेंट्स और सिलिकॉन हीटिंग पैड्स लगे हैं ताकि वे ठंड से जाम न हो जाएं. इन सभी विशेषताओं के साथ, यह ट्रेन घाटी की चुनौतियों भरी जलवायु में बिना किसी रुकावट के चलने के लिए तैयार है.
आपको बता दें कि यह नई ट्रेन सर्विस जम्मू और श्रीनगर के बीच कनेक्टिविटी में सुधार लाएगी, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और यात्रियों को भी सुविधा होगी. जम्मू-कश्मीर रेलवे लिंक उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का हिस्सा है, जिसे साल 1994-95 में मंजूरी मिली थी.
गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट के पहले तीन चरण 2014 तक सफलतापूर्वक पूरे किए गए थे, जिससे बारामूला और बनिहाल के बीच ट्रेन सेवाएं शुरू हो गईं. हालांकि, बनिहाल-कटरा खंड 111 किलोमीटर लंबा होने के कारण सबसे बड़ी चुनौती साबित हुआ. इस खंड में 97 किलोमीटर की लंबाई में सुरंगें हैं, और 7 किलोमीटर क्षेत्र में चार मुख्य पुल शामिल हैं.