JK Statehood : Statehood पर गरमाई सियासत, CM बोले- जरूरत पड़ी तो कुर्सी छोड़ दूंगा!
JK Politics : जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर सियासत तेज हो गई है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर राज्य का दर्जा लौटाने के लिए उन्हें इस्तीफा देना पड़े, तो वे तैयार हैं. भाजपा और सज्जाद लोन ने इसे सत्ता बचाने का ड्रामा बताया.
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Jammu and Kashmir : जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस देने की मांग को लेकर प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को एक बड़ा बयान देकर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार को राज्य का दर्जा देने के लिए बीजेपी का मुख्यमंत्री चाहिए, तो वह पद छोड़ने को भी तैयार हैं.
उमर ने कहा, “अगर केंद्र यही चाहता है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा तभी मिलेगा जब यहां भाजपा का मुख्यमंत्री होगा, तो मैं कुर्सी छोड़ने के लिए भी तैयार हूं. लेकिन केंद्र को अपनी मंशा साफ करनी चाहिए.” उन्होंने यह भी कहा कि अगर राज्य का दर्जा वापस मिलता है, तो अगले ही दिन विधानसभा भंग कर दी जाएगी.
उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह बार-बार कहती रही है कि पहले चुनाव होंगे और फिर राज्य का दर्जा मिलेगा, लेकिन आठ महीने से सरकार चल रही है और अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि जनता ने उन्हें पांच साल के लिए चुना है, और उनकी सरकार जनादेश के साथ कोई विश्वासघात नहीं करेगी.
इस पर बीजेपी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने उमर पर निशाना साधा है. बीजेपी प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने उमर के इस्तीफे की पेशकश को ‘ड्रामा’ करार देते हुए कहा कि यह बयान नेकां को टूटने से बचाने के लिए दिया गया है, ना कि राज्य के दर्जे के लिए.
वहीं, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने कहा कि उमर की कुर्सी छोड़ने की बात केवल छलावा है. उन्होंने आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस को केवल सत्ता से मतलब है. लोन ने यह भी तंज कसा कि जब 1989 में कानून-व्यवस्था बिगड़ी थी, तब फारूक अब्दुल्ला और उनकी सरकार ने इस्तीफा देकर कश्मीर छोड़ दिया था।.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विरोधियों पर पलटवार करते हुए कहा कि जिन लोगों ने 2016 में हिंसा के दौरान इस्तीफा नहीं दिया, उन्हें अब नैतिकता की बातें नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा जनता के हित में काम किया है और आज तक जनादेश का सम्मान किया है.
इस पूरे बयानबाजी से साफ है कि जम्मू-कश्मीर में राज्य के दर्जे को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर हैं और आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गर्मा सकता है.