ईरान से जंग के बीच कश्मीरी छात्रा की वापसी, बोली - "हमने तो जिंदा लौटने की उम्मीद छोड़ दी थी"
Kashmiri Student Returns From Iran : ईरान-इजराइल तनाव के बीच फंसी कश्मीरी छात्रा सबा रसूल सुरक्षित श्रीनगर पहुंची. उसने हालात को भयावह बताया और विदेश मंत्रालय का आभार जताया. सबा ने उमर सरकार पर दिल्ली में कोई प्रबंध न करने का आरोप लगाया. भाजपा ने भी छात्रों की वापसी पर सरकार की आलोचना की.
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Jammu and Kashmir : ईरान और इजराइल के बीच चल रही तनावपूर्ण स्थिति के बीच वहां फंसी कश्मीरी छात्रा सबा रसूल जब अपने घर श्रीनगर पहुंची, तो उसकी आंखों में डर और राहत दोनों झलक रही थी. मेडिकल की पढ़ाई कर रही सबा ने बताया कि हालात इतने खराब थे कि उन्हें लगने लगा था कि वे अब कभी अपने घर वापस नहीं लौट पाएंगी.
सबा और उनके जैसे 90 कश्मीरी छात्रों सहित कुल 110 भारतीय नागरिकों को विदेश मंत्रालय की मदद से सुरक्षित भारत लाया गया है. सबा श्रीनगर के सकीडाफर क्षेत्र की रहने वाली हैं और गुरुवार को अन्य आठ साथियों के साथ अपने घर पहुंचीं.
घर लौटने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए सबा ने कहा, “हमें लगा था अब हमारा अंत करीब है. लेकिन विदेश मंत्रालय के प्रयासों से हम फिर से अपने परिवार से मिल सके. इसके लिए हम तहे दिल से उनके शुक्रगुजार हैं.” सबा ने उम्मीद जताई कि अब बाकी कश्मीरी छात्रों को भी जल्द सुरक्षित भारत लाया जाएगा.
सबा ने बताया कि अभी भी ईरान में करीब 1300 कश्मीरी छात्र और कुल 2200 भारतीय फंसे हुए हैं. उनके परिवार वालों द्वारा लगातार धरने-प्रदर्शन किए जा रहे हैं ताकि सरकार उनकी वापसी की व्यवस्था करे.
इस बीच, सबा के पिता गुलाम रसूल ने कहा, “जैसे ही ईरान में हालात बिगड़ने शुरू हुए, हमारी नींद उड़ गई थी. हर पल सबा की फिक्र सताती थी. जब तक वो लौट नहीं आई, हमारा चैन खो गया था. शुक्र है कि आज वो हमारे पास है.”
हालांकि, सबा ने जम्मू-कश्मीर की उमर सरकार पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि दिल्ली पहुंचने पर उन्हें कोई मदद नहीं मिली. "हम थक चुके थे और उम्मीद थी कि सरकार ने ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की होगी, लेकिन हमें खुद टिकट लेकर घर आना पड़ा."
इस मुद्दे पर भाजपा ने भी मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की आलोचना की. पार्टी ने कहा कि जब छात्र मौत के साए से निकलकर आए हैं, तो सरकार को कम से कम उन्हें वापस घर पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए थी.
अब सबकी नजरें बाकी छात्रों की सुरक्षित वापसी पर टिकी हैं, जिनके परिवार अब भी चिंतित हैं और अपने बच्चों के लौटने का इंतजार कर रहे हैं.