Kashmir Willow : कश्मीरी विलो क्रिकेट बैट इंडस्ट्री पर गहरा असर, हजारों कारीगर लौटे घर...
Kashmir Willow Bat Production Declines : इस इंडस्ट्री में मेरठ और जालंधर जैसे शहरों से आए तकरीबन 25 हजार कारीगर काम कर रहे थे. हमले के बाद घाटी में पसरे डर के माहौल में इनमें से ज्यादातर कारीगर अपने घर लौट गए हैं. कारीगरों की कमी की वजह से बैट बनाने का काम रुक गया है और यूनिटें खाली पड़ी हैं.
Latest Photos


Jammu and Kashmir : पहलगाम में हुए आतंकी हमले का असर जम्मू-कश्मीर के कारोबार पर भी साफ दिखने लगा है. सबसे ज्यादा झटका कश्मीरी विलो क्रिकेट बैट इंडस्ट्री को लगा है. अनंतनाग जिले में मौजूद इस इंडस्ट्री की करीब 90% यूनिटें पहलगाम और आसपास के इलाकों में ही मौजूद हैं, जहां अब काम लगभग ठप हो गया है.
इस इंडस्ट्री में मेरठ और जालंधर जैसे शहरों से आए तकरीबन 25 हजार कारीगर काम कर रहे थे. हमले के बाद घाटी में पसरे डर के माहौल में इनमें से ज्यादातर कारीगर अपने घर लौट गए हैं. कारीगरों की कमी की वजह से बैट बनाने का काम रुक गया है और यूनिटें खाली पड़ी हैं.
कश्मीरी विलो क्रिकेट बैट की देश-विदेश में अच्छी मांग रहती है. अमेरिका, यूके, यूएई जैसे देशों में हर साल हजारों बैट Export किए जाते हैं. IPL जैसे बड़े टूर्नामेंट में भी इन बल्लों का इस्तेमाल हो रहा है. 2021 से अब तक करीब 6 लाख कश्मीरी विलो बैट विदेशों में भेजे जा चुके हैं. लेकिन मौजूदा हालात ने कारोबारियों की चिंता बढ़ा दी है.
अनंतनाग के कारोबारी फयाज अहमद डार ने बताया कि इंडस्ट्री में तकरीबन 70% कारीगर बाहर से आते हैं. हमले में उन्हें नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन परिवार की चिंता और डर की वजह से वे वापस चले गए. इससे उत्पादन पूरी तरह रुक गया है.
सबसे ज्यादा परेशानी उन कारोबारियों को है, जिन्होंने लोन लेकर यूनिटें शुरू की थीं. अब न तो प्रोडक्शन हो रहा है, न बिक्री. इससे लोन चुकाना और यूनिट का खर्च चलाना बड़ी चुनौती बन गया है.
क्रिकेट बैट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ कश्मीर के प्रवक्ता फैजुल कबीर ने बताते हैं कि हम चाहते हैं हालात जल्दी सुधरें और कारीगर लौटें ताकि इंडस्ट्री दोबारा रफ्तार पकड़ सके.
इसके अलावा, फैजुल कबीर कहते हैं, "हमारे लिए सबसे जरूरी है कि शांति लौटे और कारोबार दोबारा चले."