न बोल सकते है और न सुन सकते है फिर भी आमिर है कश्मीर के ऑलराउण्डर

हम आपको बताते है इस तस्वीर में दिखने वाले शख्स के बारें में ये 28 साल के आमिर रऊफ है जो कि श्रीनगर के रहने वाले है । ये एक एथलीट है, क्रिकेटर है, शतरंज खेलते है, और स्कीइंग भी करते है, कई खेलों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनावा चुके रऊफ पूरे कश्मीर की शान है । लेकिन आपको सबसे हैरान कर देने वाली बात हम बताते है। वो ये है कि आमिर न तो सुन सकते है और न ही बोल सकते है लेकिन उनका हुनर सबकुछ बोल भी सकता है और सबकुछ सुन भी सकता है। कश्मीर के युवाओं के लिए आमिर एक मिसाल है जो उनकों कठिन संघर्ष में प्रेरणा दे सकते है।

 न बोल सकते है और न सुन सकते है फिर भी आमिर है कश्मीर के ऑलराउण्डर
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बडगाम : भारत का सिरमौर कश्मीर अपनी खुबसुरत वादियो के अलावा अपनी संस्कृति अपनी ऐतिहासिकता के लिए भी एक अलग पहचान रखता है। इसी कड़ी में यहां पर टैलेन्ट की भी कोई कमी नहीं है । आइये आज हम आपको मिलवाते है आमिर रऊफ से जो बोल और सुन नहीं सकते लेकिन खेलों में इनका योगदान कश्मीर में आज किसी से भी छुपा नहीं है । क्रिकेट,वॉलीबॉल,शतरंज और स्कीइंग में अपनी पहचान बनाने वाले आमिर के बारे में बताएंगे हमारी इस खास रिपोर्ट में ।

इस तस्वीर में दिखाई देने वाला शख्स अपने हाथ में सर्टिफिकेट पकड़े हुये दिखाई देता है और उन लम्हों को याद कर रहा है जब उसे इस ट्राफी और सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया था । तो चलिए हम आपको बताते है इस तस्वीर में दिखने वाले शख्स के बारें में ये 28 साल के आमिर रऊफ है जो कि श्रीनगर के रहने वाले है । ये एक एथलीट है, क्रिकेटर है, शतरंज खेलते है, और स्कीइंग भी करते है, कई खेलों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनावा चुके रऊफ पूरे कश्मीर की शान है । लेकिन आपको सबसे हैरान कर देने वाली बात हम बताते है। वो ये है कि आमिर न तो सुन सकते है और न ही बोल सकते है लेकिन उनका हुनर सबकुछ बोल भी सकता है और सबकुछ सुन भी सकता है। कश्मीर के युवाओं के लिए आमिर एक मिसाल है जो उनकों कठिन संघर्ष में प्रेरणा दे सकते है। आमिर ने स्की चैंपियनशिप 2019 में इटली में भारत का प्रतिनिधित्व किया था । अब तक आमिर ने राष्ट्रीय,स्थानीय और अंतराष्ट्रीय ट्रूर्नामेन्ट में कई मेडल और सर्टिफिकेट हासिल किये है । आमिर ने छोटी उम्र में ही ताइक्वाड़ों में कदम रखा और उसके बाद 2014 के डेफ एण्ड म्यूट आईपीएल खेला। वॉलीबाल और शंतरज के भी वो अच्छे खिलाड़ी है। स्कीइंग में मेडल जीतकर करके उन्होंने सभी को अचभिंत कर दिया है। अब उनकी नजर स्कीइंग के अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल हो की है जिसके लिए वो कड़ी मेहनत भी कर रहे है। इतने बड़े खिलाड़ी होते हुये भी आज वो अपनी जीविका के लिए सरकारी विभाग में कॉन्ट्रेक्ट पर जॉब करते है लेकिन सरकार की ओर से उनको किसी भी तरह का कोई मदद नहीं मिली है। जिसे लेकर आमिर काफी हताश है।

आमिर के पिता का नाम अब्दुल रऊफ है जब उनको आमिर क जन्म के बाद पता चला कि वो सुन और बोल नहीं सकते है तो उन्हें काफी सदमा लगा । लेकिन उन्होंने इस कड़वी सच्चाई को स्वीकार करते हुये अपने बेटे की हमेशा हौसला अफजाई की उन्हें वो सब करने के लिए फ्री किया जो वो करना चाहते थे उन्हें पूरा स्पोर्ट उनके पिता से मिला । विलषण प्रतिभा के कारण आमिर ने बचपन से खेलों की ओर अपनी रूची दिखाई और फिर क्या था एक के बाद एक खेलों की प्रतियोगिता भाग लेते हुये उन्होंने सर्टिफिकेट और मेडल की झड़ी लगा दी। सरकार एथलीटों को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत से प्रयास करती है लेकिन आमिर के लिए सरकार की ओर से कोई मदद नहीं आई जिसे लेकर उनके पिता काफी चिंता करते है। आमिर अभी कॉन्टेक्ट पर कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर काम करते है। आमिर अपने लिए सरकार से कोई खास इच्छा नहीं रखते है लेकिन उनकी सरकार से ये गुजारिश है कि वो विशेष बच्चों के लिए कुछ न कुछ करें ताकि वो आर्थिक रूप से सम्पन्न होकर खेलों में अपना पूरा फोकस दे सकें।  

आमिर रऊफ ने अपनी शारीरिक कमजोरी को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया उनके अन्दर बचपन से ही स्पोर्टमेन स्पीरीट मौजूद थी। वो हमेशा वक्त और हालत से लड़ते हुये सीधे अपने खेल पर फोकस करके आगे बढ़ते रहे। अगर उनके इस टैलेन्ट को सरकार ने थोड़ा सा बढ़ावा दिया होता तो वो और भी आगे जा सकते थे। फिलहाल वो एक प्राइवेट नौकरी करके अपना जीवन गुजार रहे है।  सरकार को ऐसे टैलेन्ट को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए ताकि जम्मू कश्मीर से ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर सके।  

 

 

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