जम्मू और कश्मीर में खेलों का इतिहास और पृष्ठभूमि

जम्मू और कश्मीर की रियासत

जम्मू और कश्मीर में खेलों का इतिहास और पृष्ठभूमि
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जम्मू और कश्मीर की रियासत

1883 में, जम्मू और कश्मीर की रियासत में, शिकार अभी भी एक खेल था, हालांकि किस चीज को मारा जा सकता था और कहां शिकार किया जा सकता था, इस पर बैन लगने लगे थे।

पर "कश्मीर में दो या तीन सौ आदमी हैं जो खुद को शिकारी कहते हैं, लेकिन दो दर्जन ऐसे नहीं हैं जो इस नाम के योग्य हों। भारत के किसी अन्य हिस्से में ढोंगियों का इतना बड़ा संग्रह नहीं होगा"
खेल में मार्खोर, आइबेक्स, थेर, सीरो, गोरल, बुर्हेल, हिरण, मृग, याक, भेड़िया, सांभर और अन्य शामिल थे।
1942 तक जम्मू और कश्मीर खेल संरक्षण कार्रवाई लागू हुई जिसने उन सीटुएशन्स को आउटलाइन किया जिनके तहत खेल को मारा जा सकता था

 

2008 से कश्मीर के गुलमर्ग में "नेशनल विंटर्स गेम्स" में स्नोमोबाइल राइडर्स लुत्फ ले रहे हैं।
जम्मू और कश्मीर ने गुल देव सहित कई इंटरनेशनल और नेशनल लेवल के "कश्मीरी ओलंपियन, इंडियन प्रीमियर लीग के कई क्रिकेटर जैसे अब्दुल समद और मिथुन मन्हास, शार्प शूटर चैन सिंह और फुटबॉलर महराजु" जैसे खिलाड़ी दिए हैं,

जम्मू और कश्मीर के कुछ पॉपुलर स्पोर्ट्स की गर बात करें तो गोल्फ जैसे खेलों के साथ-साथ क्रिकेट, फुटबॉल और विंटर्स गेम्स ,वाटर स्पोर्ट्स, आइस स्टॉक स्पोर्ट और एडवेंचर स्पोर्ट्स शामिल हैं
गुलमर्ग में 1996, 2004 और 2009 में "नेशनल विंटर्स गेम्स" का आयोजन हो चुका है।
पहले "खेलो इंडिया विंटर गेम्स" फरवरी और मार्च 2020 में लेह और गुलमर्ग में ऑर्गनिज़ किए गए थे।
जम्मू-कश्मीर ने मैक्सिमम गोल्ड मैडल  (26 गोल्ड, 29 सिल्वर, 21 ब्रोंज़) जीते जबकि इंडियन आर्मी  की टीम 8 गोल्ड मेडल्स  के साथ सेकंड  पर रही।
2020 में गुलमर्ग में "नेशनल विंटर्स गेम्स" का सेकंड एडिशन भी सफलतापूर्वक ऑर्गनाइज़ किया गया, जिसमें जम्मू और कश्मीर फर्स्ट और कर्नाटक सेकंड पर रहे।

 

कश्मीर कनफ्लिक्ट और स्टेट में टेंशन से भरे माहौल होने के बावजूद , स्पोट्र्स सेक्टर में सरकार की पहल को स्पेशल्ली यूथ को कन्फ्लिक्ट्स  से दूर करने की कोशिश को बढ़ावा दिया जाता है। 
इंडियन आर्मी टाइम टू टाइम "ऑपरेशन सद्भावना" जैसी पहलों के चलते इस क्षेत्र में युवाओं के लिए खेल गतिविधियों का आयोजन भी करती है। 
लैक ऑफ़ इंफ्रास्ट्रक्चर, पॉलिटिसिज़ेशन, लैक ऑफ सप्पोर्ट जैसे कई और मुद्दे हैं जो इस क्षेत्र में खेलों के विकास में रुकावट बन रहे हैं।

आबिद हुसैन स्पोर्ट्स जौर्नालिस्ट ने मुंबई मिरर के साथ 2020 में एक इंटरव्यू में कहा था के "स्पोर्ट्स टूर्नामेंट्स सेना और पुलिस दोनों के साथ-साथ मेनस्ट्रीम पोलिटिकल पार्टीज के राजनीतिक दलों के साथ मिल कर  किए जाते हैं"
यहां तक ​​कि हुर्रियत,और एक बार जब कोई प्लेयर इनमें से किसी एक टूर्नामेंट में पार्टिसिपेट करता है, तो प्लेयर्स को उनके परिवारों के साथ "भारत समर्थक" (प्रो-इंडिया)  या "पाकिस्तान समर्थक"(प्रो-पाकिस्तान) करार दिया जाता है।
यहां तक ​​कि अगर कोई प्लेयर इंडिया के लिए खेलता है तो उसे कई तरह के तानो का सामना करना पड़ता है। 

फुटबॉल के बाद जम्मू और कश्मीर में क्रिकेट सेकंड फैवरेट गेम है। हाल ही में इफरान पठान को जम्मू और कश्मीर क्रिकेट टीम का मेंटर और कोच बनाया गया था। 
टीम "रांझी ट्रॉफी" और "विजय हजारे ट्रॉफी" जैसे टूर्नामेंट्स में भाग लेती है। इस क्षेत्र से आने वाले फेमस प्लेयर्स में परवेज रसूल, अब्दुल समद, मिथुन मन्हास, रासिख सलाम और मंजूर डार शामिल हैं, जिन्होंने "सनराइजर्स हैदराबाद" और "किंग्स इलेवन पंजाब" जैसी टीम के लिए टी20 आईपीएल मैच खेले हैं
जम्मू और कश्मीर के अन्य क्रिकेटरों में जसिया अख्तर शामिल हैं, जो भारत की वीमेन नेशनल क्रिकेट टीम के लिए चुनी जाने वाली जम्मू और कश्मीर की पहली महिला थीं और आमिर हुसैन लोन जो जम्मू और कश्मीर की पैरा क्रिकेट टीम के कप्तान हैं। 

 

सितंबर 2020 को, "फिट इंडिया मूवमेंट" की पहली सालगिरह पर, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अफशान आशिक़  सहित देश भर के कई प्लेयर्स के साथ डिजिटल रूप से बातचीत की थी 
"अफशान आशिक़" कश्मीर घाटी की पहली जम्मू और कश्मीर की फीमेल स्टेट फुटबॉल टीम की कप्तान हैं।

अफशान आशिक़ 22- मेंबर  जम्मू और कश्मीर फुटबॉल टीम में गोलकीपर हैं, और उन्होंने उस वरिष्ठ राजनेता से मिलने के लिए समूह का नेतृत्व किया, जिसके साथ उन्होंने लगभग आधे घंटे तक हुई डिस्कशन में स्टेट में खेल के फाउंडेशन स्ट्रक्चर की कमी पर चर्चा की।

अफशान आशिक़ ने कहा, "जब हमने होम मिनिस्टर को बताया कि जम्मू-कश्मीर में खेल के फाउंडेशन स्ट्रक्चर की कमी है, तो उन्होंने उसी वक़्त मुख्यमंत्री (महबूबा मुफ्ती) को फोन किया और उनसे हमारी मदद के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा "

 

 

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