बोद्ध धर्म के मुलबेख मठ का नाम ऐतिहासिक होने के साथ ही लोगों की आस्था का केन्द्र है

श्रीनगर से लेह हाइवे की ओर जाते हुए करगिल के बाद पहला ही स्टॉप मुलबेख मठ का दिखाई देगा । ये मठ बिल्कुल हाइवे के किनारे एक बिल्कुल सीधी खड़ी चट्टान पर बना है जो सड़क से तकरीबन 650 फीट ऊंचा है ।  यहां पर दो मठ हैं.. पहला दरुकपा या रेड हेट संप्रदाय और दूसरा गेलुगपा या येलो हैट संप्रदाय से जुड़ा है। मुलबेख मठ के फेमस होने का बड़ा कारण 30 फीट ऊंची मैत्रेय बुद्ध यानि भविष्य के बुद्ध का स्टैच्यू है।  जिस चट्टान पर मठ बना हुआ हैं ये स्टैच्यू उसके ऊपर चूना पत्थर की चट्टान पर उकेरा गया है। भविष्य के बुद्ध की मूर्ति हाइवे 1डी की ओर मुंह किए खड़ी हुई है।

 बोद्ध धर्म के मुलबेख मठ का नाम ऐतिहासिक होने के साथ ही लोगों की आस्था का केन्द्र है
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कारगील : अगरआप कारगील घुमने जा रहे है, और वहां के टूरिस्ट डेस्टिनेशन की आपने पूरी लिस्ट तैयार कर ली है और आपकी लिस्ट में बौद्ध धर्म के मुलबेख मठ का नाम नहीं है तो आप एक ऐतिहासिक धरोहर के दीदार से कहीं न कहीं चुक जायेंगे यहां पर आपको भविष्य के बुद्ध की मूर्ति हाइवे 1डी की ओर मुंह किए खड़ी हुई दिखाई देगी जो अपने आप में बौद्घ दर्शन है, आज हम आपको बतायेंगे हमारी इस रिपोर्ट में । 

श्रीनगर से लेह हाइवे की ओर जाते हुए करगिल के बाद पहला ही स्टॉप मुलबेख मठ का दिखाई देगा । ये मठ बिल्कुल हाइवे के किनारे एक बिल्कुल सीधी खड़ी चट्टान पर बना है जो सड़क से तकरीबन 650 फीट ऊंचा है ।  यहां पर दो मठ हैं.. पहला दरुकपा या रेड हेट संप्रदाय और दूसरा गेलुगपा या येलो हैट संप्रदाय से जुड़ा है। मुलबेख मठ के फेमस होने का बड़ा कारण 30 फीट ऊंची मैत्रेय बुद्ध यानि भविष्य के बुद्ध का स्टैच्यू है।  जिस चट्टान पर मठ बना हुआ हैं ये स्टैच्यू उसके ऊपर चूना पत्थर की चट्टान पर उकेरा गया है। भविष्य के बुद्ध की मूर्ति हाइवे 1डी की ओर मुंह किए खड़ी हुई है। ये रास्ता पहले व्यापार का मार्ग था।  चट्टान के पास एक इंफोरमेशन बोर्ड के मुताबिक इस मूर्ति का निर्माण पहली सदी में कुषाण काल के दौरान हुआ था।  भविष्य के बुद्ध की मूर्ति को चंबा भी कहा जाता है इसी कारण इस मठ को मुलबेख चंबा भी कहा जाता है। समाजसेवी सांरिग सैम्पल बताते है कि मुलबेख चांबा में मैत्रीय बुद्धा का 22 फूट का स्टैच्यू है ऐसा स्टैच्यू आपको और कहीं देखने को नहीं मिलेगा । ये स्टैच्यू पहली से 7वीं शताब्दी के बीच राजा कनिष्का ने बनवाया था । राजा कनिष्क बुद्धिसम में गहरी आस्था रखते थे । उन्होंने कारीगरों को बुलवाया और उन्हें ऐसा स्टैच्यू बनाने को कहा जिसमें भविष्य के बुद्ध की झलक साफ तौर पर दिखाई दे। बुद्धिसम में बताया गया है कि जब आदमी की उम्र घटकर सिर्फ 10 साल की रह जायेगी। तब बुद्ध का अवतार धरती पर होगा और वो बौद्ध धर्म का प्रचार करेंगे उनका कहना है कि ये एक राष्ट्रीय धरोहर है लेकिन सरकार ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया । स्टैच्यू के दर्शन करने के बाद सबकी मनोकामनाएं पूरी होती है ऐसी बुद्घ की महिमा है।  

मैत्रेय चट्टान की मूर्ति के पास खरोष्ठी लिपि में पहाड़ पर खुदे हुए प्राचीन शिलालेख है, जो गांधार संस्कृति द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक प्राचीन भारतीय लिपि है।  मुलबेख मठ की दीवारों पर चित्र बनाये गये है और इसके अलावा कुछ बेशकिम्मती अवशेष भी देखने को मिलते है, मुलबेख मठ में काम करने वाले लामा बताते है कि सुबह शाम यहां पर पूजा की जाती है। इसके लिए मौनेस्ट्री से दो लामाओं को नियुक्त किया हुआ है जो मठ की देख रेख करते है। यहां पर साल भर टूरिस्टों का आना जाना लगा रहता है। स्थानीय लोग यहां पर रोज पूजा करने आते है। दीपक जलाना पूजा करना अपनी इच्छाओं को बुद्ध के सामने रखकर लोग अच्छा महसूस करते है, यहां पर बना बुद्धा का जो स्टैच्यू है वो भविष्य में बुद्ध के अवतार को दर्शाता है, सरकार को आगे आकर इस मठ के देख रेख के अलावा इसके पुननिर्माण पर विचार करना चाहिए । ये बौद्ध धर्म के मानने वाले लाखों लोगों की आस्था का विषय है लेकिन सरकार की ओर से कोई भी प्रयास दिखाई नहीं देता है । गांव की कमेटी ही मठ का देखभाल करती है। मठ के ठीक बाहर की तरफ एक बहुत बड़ा प्रार्थना चक्र है और इसके बिल्कुल सामने एक ऐसी जगह है जहां आने वाले टूरिस्ट और श्रद्धालू चाय नाश्ता कर सकते है।

कुल मिलाकर बौद्घ धर्म को मानने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए मुलबेख चंबा एक आस्था का केन्द्र है। भविष्य के बुद्ध अवतार के बारें में दुनिया को बताता ये मठ सरकार की अनदेखी के कारण कुछ असुविधाओं को झेल रहा है। ये मठ एक धरोहर है ये जितना सुन्दर है उतना ही दिव्यता का एहसास करता है।

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