फारूक अब्दुल्ला बोले – जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलना हमारा हक है, कोई एहसान नहीं!

Farooq Abdullah on Statehood : डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलना हमारा हक है, कोई एहसान नहीं. उन्होंने केंद्र सरकार से वादा निभाने की अपील की. साथ ही नाराज सांसद रूहुल्लाह मेहदी को मनाने की कोशिशों के तहत बडगाम जाकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी.

फारूक अब्दुल्ला बोले – जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलना हमारा हक है, कोई एहसान नहीं!
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Jammu and Kashmir : नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा देने की मांग को दोहराया है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह हम पर कोई एहसान नहीं है, बल्कि हमारा संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है.

डॉ. अब्दुल्ला ने यह बयान शुक्रवार को बडगाम में दिया. वह सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी की चाची के निधन पर संवेदना प्रकट करने पहुंचे थे. इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को जल्द से जल्द फिर से राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर लोगों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया है.

राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज

डॉ. फारूक अब्दुल्ला का यह दौरा केवल संवेदना प्रकट करने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसे राजनीतिक समीकरणों को साधने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है. कहा जा रहा है कि फारूक अब्दुल्ला नाराज चल रहे सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी को मनाने की कोशिश कर रहे हैं.

बताया जा रहा है कि रूहुल्लाह बडगाम उपचुनाव में अपने पसंद के उम्मीदवार को टिकट दिलवाना चाहते हैं, जबकि उमर अब्दुल्ला अपने करीबी नासिर असलम वानी को मैदान में उतारने के पक्ष में हैं. दोनों नेताओं के बीच अनुच्छेद 370 और आरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर भी मतभेद हैं.

कांग्रेस नेताओं को कहा धन्यवाद

डॉ. अब्दुल्ला ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी का आभार जताया, जिन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की है. उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह लोगों से किए गए अपने वादे को निभाए और राज्य का दर्जा बहाल करे.

राजनीति में नैतिकता की जरूरत

सांसद रूहुल्लाह के पिछले कुछ बयानों से पार्टी में मतभेद की बात भी सामने आई है. उन्होंने हाल ही में कहा था कि राजनीति में उसूलों की कमी हो रही है और उन्हें ऐसे ईमानदार लोगों का साथ चाहिए, जो जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए सच्चाई से लड़ सकें.

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि रूहुल्लाह को मनाना नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए जरूरी है, क्योंकि उनकी नाराजगी उपचुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है.
 

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