कश्मीर से कन्याकुमारी तक ट्रेन सफर अब बनेगा हकीकत, एफिल टावर से ऊंचे चिनाब पुल पर दौड़ेगी रेल

Vande Bharat Train : प्रधानमंत्री मोदी 6 जून को कटड़ा-बनिहाल रेल मार्ग का उद्घाटन करेंगे, जिससे कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल संपर्क स्थापित होगा. एफिल टावर से ऊंचे चिनाब पुल पर हाईटेक सेंसर, ब्लास्ट प्रोटेक्शन तकनीक और स्मार्ट निगरानी प्रणाली लगाई गई है. यह भारतीय रेलवे की ऐतिहासिक उपलब्धि है.

कश्मीर से कन्याकुमारी तक ट्रेन सफर अब बनेगा हकीकत, एफिल टावर से ऊंचे चिनाब पुल पर दौड़ेगी रेल
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Jammu and Kashmir : कश्मीर से कन्याकुमारी तक ट्रेन से सफर करने का सपना अब हकीकत बनने वाला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 जून को कटड़ा से बनिहाल तक की 111 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का उद्घाटन करेंगे. इस परियोजना के पूरे होते ही जम्मू-कश्मीर से लेकर देश के अंतिम छोर कन्याकुमारी तक रेल संपर्क स्थापित हो जाएगा.

इस रेल संपर्क का सबसे बड़ा आकर्षण बना है चिनाब नदी पर बना चिनाब ब्रिज, जो विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुलों में से एक है. यह पुल एफिल टावर से भी ऊंचा है और इसे आधुनिक तकनीकों से बनाया गया है, जिससे इसकी मजबूती और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

चिनाब ब्रिज: भारतीय इंजीनियरिंग का चमत्कार

रियासी जिले में चिनाब नदी पर बने इस पुल की कुल लंबाई 1315 मीटर है. यह एक आर्च यानी मेहराबदार स्टील और कंक्रीट से बना पुल है, जो 260 किमी प्रति घंटे की हवा की रफ्तार और तेज भूकंप झेलने की क्षमता रखता है.

पुल की सतह पर 780 मीटर लंबा प्लेटफार्म 'ब्लास्ट प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी' से तैयार किया गया है, जिससे कोई भी बड़ा झटका पुल को नुकसान नहीं पहुंचा सके.

हाई-टेक सेंसर और स्मार्ट निगरानी

इस पुल की सुरक्षा के लिए 112 सेंसर और 150 सर्वर के साथ एक अत्याधुनिक नियंत्रण कक्ष तैयार किया गया है. ये सेंसर हर वक्त हवा की गति, तापमान, आर्द्रता, कंपन जैसी जानकारी वास्तविक समय में भेजते हैं. यदि हवा की गति खतरे के स्तर से ऊपर जाती है, तो स्टेशन मास्टर कक्ष में अलार्म बजने लगता है.

निर्माण में लगे आंकड़े भी हैरतअंगेज

इस पुल के निर्माण में करीब 12 लाख घन मीटर खुदाई की गई और 30,000 से ज्यादा मीट्रिक टन स्टील का उपयोग हुआ. केवल विशाल मेहराब बनाने में ही 10,620 मीट्रिक टन स्टील लगा है.

इस पुल और कटड़ा-बनिहाल रेलवे लाइन के जरिए अब घाटी तक की यात्रा आसान, सुरक्षित और तेज हो जाएगी। यह न केवल जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक नई शुरुआत है, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है.

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