Kavinder Gupta : लद्दाख को मिला नया उपराज्यपाल, कविंदर गुप्ता को सौंपी गई जिम्मेदारी!
Ladakh New LG : केंद्र शासित लद्दाख को नया उपराज्यपाल मिल गया है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता कविंदर गुप्ता को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है. ब्रिगेडियर बी.डी. मिश्रा के इस्तीफे के बाद नियुक्ति हुई. गुप्ता के अनुभव से लद्दाख में विकास की नई उम्मीद जगी है.
Latest Photos


Jammu and Kashmir : केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की सत्ता में बड़ा बदलाव हुआ है. जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के सीनियर लीडर कविंदर गुप्ता को लद्दाख का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है. इससे पहले इस पद पर तैनात ब्रिगेडियर (डॉ.) बी.डी. मिश्रा (सेवानिवृत्त) ने इस्तीफा दे दिया था, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया.
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी सूचना के मुताबिक, “ब्रिगेडियर (डॉ.) बी.डी. मिश्रा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है और कविंदर गुप्ता को लद्दाख का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है.”
कौन हैं कविंदर गुप्ता?
कविंदर गुप्ता का जन्म 2 दिसंबर 1959 को हुआ था. वे बहुत कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए थे. आपातकाल के समय वे 13 महीने जेल में भी रहे. 1978-79 में वे विश्व हिंदू परिषद पंजाब के सचिव भी रह चुके हैं.
राजनीतिक करियर में उन्होंने 1993 से 1998 तक भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका निभाई. वे जम्मू के तीन बार मेयर भी रह चुके हैं. 2014 में गांधीनगर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस नेता रमण भल्ला को हराकर विधायक बने. 2015 में वे विधानसभा अध्यक्ष चुने गए — और वे जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पहले भाजपा स्पीकर बने.
जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री भी रहे
साल 2018 में भाजपा-पीडीपी सरकार में फेरबदल के बाद कविंदर गुप्ता को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. हालांकि यह कार्यकाल केवल 51 दिनों का रहा, क्योंकि भाजपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.
BJP में खुशी की लहर
कविंदर गुप्ता को लद्दाख का उपराज्यपाल बनाए जाने से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों ही जगह खुशी की लहर है. भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ आम लोगों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. लोगों का मानना है कि उनके अनुभव और संगठन से जुड़ाव से लद्दाख में विकास के नए रास्ते खुलेंगे.
भाजपा नेताओं का कहना है कि गुप्ता की सधी हुई नेतृत्व शैली और जमीन से जुड़ाव लद्दाख को नई दिशा देंगे. अब सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि वे अपने कार्यकाल में लद्दाख के लिए क्या अहम फैसले लेते हैं.